Tuesday, October 15, 2024
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Afghanistan में जंग लड़े सैनिकों से मेडल छीनेगा ऑस्ट्रेलिया

canberra। ऑस्ट्रेलिया में कई सीनियर डिफेंस मिलिट्री कमांडरों का सर्विस मेडल छीन लिया जाएगा। इन्हें Afghanistan में वॉर क्राइम्स करने का दोषी पाया गया है। ऑस्ट्रेलियाई संसद में रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने गुरुवार को इसकी घोषणा की गई। साल 2020 में ब्रेरेटन रिपोर्ट जारी हुई थी। इसमें सबूत मिले थे कि ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने अफगानिस्तान में जंग के दौरान गैरकानूनी तरीके से 39 लोगों को मार डाला था। रक्षा मंत्री मार्लेस ने कहा कि ये हमारे लिए हमेशा राष्ट्रीय शर्म का विषय बना रहेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक मार्लेस ने उन सैनिकों के नाम नहीं बताए जिनके पुरस्कार छीन लिए गए हैं। हालांकि स्थानीय मीडिया के मुताबिक इनकी संख्या करीब 10 बताई गई है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इन सैनिकों पर मुकदमा चलाने पर विचार किया जा रहा है।
अफगानिस्तान जंग लडऩे गए थे ऑस्ट्रेलियाई सैनिक
मिली जानकारी के मुताबिक साल 2001 से 2013 के बीच अफगानिस्तान में 39 हजार से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई सैनिक जंग लडऩे गए थे। इन्हें 11 सितंबर को अमेरिका पर हुए हमले के बाद तालिबान, अलकायदा और दूसरे इस्लामिक गुटों से लडऩे के लिए भेजा गया था। साल 2016 में खुलासा हुआ कि कुछ ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने वहां वॉर क्राइम्स किया है। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी की अध्यक्षता पूर्व जज और मेजर जनरल पॉल ब्रेरेटन कर रहे थे। कमेटी उन्हीं के नाम से जानी जाती है। चार साल के बाद 19 नवंबर 2020 को ब्रेरेटन की रिपोर्ट जारी हुई। इसमें बताया गया था कि अफगानिस्तान में तैनात ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने कैदियों और आम नागरिकों का कत्ल किया है। रिपोर्ट के मुताबिक इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी और 2012-13 में इससे जुड़ी सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं। कम से कम 25 लोग इस अपराध में शामिल थे। इसे अंजाम देने वाले ज्यादातर ऐसे सैनिक थे, जो पहली बार जंग लडऩे गए थे।
प्रैक्टिस करने के लिए ले ली बेकसूर लोगों की जान
इन सैनिकों ने सिर्फ प्रैक्टिस के नाम पर बेगुनाह लोगों को मार डाला। ऑस्ट्रेलिया में तैनाती के बाद जब कोई सैनिक पहली बार किसी अपराधी को मुठभेड़ में मार गिराता है तो इसे ‘ब्लडिंग’ कहा जाता है। आमतौर पर कोई कमांडर गश्ती पर जाता था तो अपने जूनियर को ‘ब्लडिंग’ का आदेश देता था। कत्ल करने के बाद वे मारे गए लोगों के पास हथियार रख देते थे। इसके बाद वे रेडियो सेट के जरिए मैसेज भेजते थे कि उनका आतंकियों से एनकाउंटर हुआ जिसमें वे मारे गए।

https://www.parpanch.com/ready-to-resign-for-the-sake-of-people-mamata-banerjee/?swcfpc=1

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