New Delhi। कभी कभी विपक्षी नेता जनहित से जुडे अच्छे काम भी कर लेते हैं। इस बार छोटे नोटों को लेकर गरीब ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। खुल्ले के टोटे से जूझने की वजह ये है कि 10-20 और 50 के नोट बाजार से गायब हो रहे हैं। परेशानी उनकी ज्यादा बढ़ी है जो डिजिटल पेमेंट से दूर हैं। इस समस्या को Congress के वरिष्ठ नेता मणिकम टैगोर ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर छोटे नोटों की कमी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मार्केट में छोटे नोटों की कमी हो गई है जिसकी वजह से गरीबों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। टैगोर ने कहा कि 10-20 और 50 के नोटों की कमी की वजह से ग्रामीण और शहरी गरीबों को परेशानी हो रही है।
शनिवार को टैगोर ने अपने पत्र में लिखा, रिपोर्ट्स से पता चला है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यूपीआई और कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए इन नोटों को छापना ही बंद कर दिया है। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की बात समझ में आती है लेकिन इससे वे लोग प्रभावित हो रहे हैं जो अभी डिजिटल पेमेंट का उपयोग नहीं करते। खास तौर पर ग्रामीण भारत के लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से मुद्रा प्राप्त करने के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन होता है। छोटे नोट कम होने की वजह से छोटे कारोबार भी प्रभावित हो रहे हैं। दिहाड़ी मजदूरों, रेहड़ी पटरी वाले कैश पर ही निर्भर होते हैं। उन्होंने वित्त मंत्री से कहा कि आरबीआई को छोटे नोटों की छपाई शुरू करने का निर्देश दिया जाए। इसके अलावा गांवों में डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान दिया जाए। बता दें कि देश में चार जगहों पर कागज के नोट छापे जाते हैं। आरबीआई के दिशा निर्देश पर डिपार्टमेंट ऑफ करेंसी मैनेजमेंट नोट छपाई का काम करता है। करेंसी नोट प्रेस में से दो का स्वामित्व भारत सरकार के पास और दो का रिजर्व बैंक के पास है। नासिक और देवास में भारत के स्मामित्व वाले नोट प्रेस मौजूद हैं। इसके अलावा मैसूर और सालबोनी के प्रेस का स्वामित्व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास है।