Islamabad। अरब सागर में बन रहे चक्रवाती तूफान आसना से गुजरात को राहत मिली है तो वहीं पाकिस्तान के Karachi पर संकट के बादल छाने लगे हैं। भारी बारिश की वजह से कराची के स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। कराची के संरक्षक संत के रूप में जाने जाने वाले अब्दुल्लाह शाह गाजी की दरगाह में विश्वास रखने वालों का मानना है कि वह शहर पर आने वाली हर बला को टाल देते हैं। कराची शहर की सुरक्षा को लेकर एक तरफ धर्म पर विश्वास रखने वालों की राय है तो दूसरी तरफ विज्ञान की। अब्दुल्लाह शाह गाजी 18वीं शताब्दी के एक सूफी संत थे। माना जाता है कि वह अरब से आए थे और सिंध प्रांत में अपने भाई सैयद मिसरी शाह के पास रुक गए थे।
वहीं कई लोगों का कहना है कि वह सऊदी अरब के मदीना के रहने वाले थे। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि वह इराक से आए थे। कहा जाता कि उनके कुछ दुश्मन भी बन गए थे और सिंध में ही घने जंगलों में उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद बालू के एक टीले पर उन्हें दफन कर दिया गया था। यह जगह कराची शहर में स्थित है और यहां से समंदर का भी नजारा दिखता है। अब यह दरगाह वास्तु और श्रद्धा के लिहाज से काफी मशहूर है।
अरब सागर में बनने वाले तूफान फेट (2010), निलोफर (2014) तौउते (2021) और बिपरजॉय (2023) ने भी कराची पहुंचने से पहले ही अपना रास्ता बदल लिया था। कराची पहुंचते-पहुंचते चक्रवात कमजोर पड़ जाते हैं। जानकारों का कहना है कि कराची शहर अंदर की ओर कर्व है। 2021 में ताउते तूफान में कराची में पांच लोगों की मौत हो गई थी।
पाकिस्तान से ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग गाजी की दुआ लेने यहां आते हैं। कहा जाता है कि एक बार एक मुछआरा चक्रवात में फंस गया था। तब गाजी ने अपने खाने के कटोरे को पानी से भरकर दुआ की और फिर चक्रवात रुक गया। अब जब भी कराची पर चक्रवात का खतरा आता है तो उनको मानने वाले कहते हैं कि गाजी इसे जरूर रोक लेंगे और शहर को सुरक्षित रखेंगे।
कराची शहर की आबादी करीब 1.5 करोड़ है। यहां ऐसी इमारतें हैं जो कि बेहद असुरक्षित हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कराची के चक्रवात से बचे रहने की सबसे बड़ी वजह है अरब सागर का शांत जल। इस इलाके में भयंकर चक्रवात बनने लायक कंडीशन नहीं हैं। अब इसे सूफी संत की दुआ का असर माने या कुछ और यह तो भगवान ही जानता है।
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