New Delhi। दिल्ली के Jantar Mantar पर आम आदमी पार्टी ने जनता की अदालत लगाई। इसमें दिल्ली से पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के रिश्तों पर तीखे बाण चलाए। केजरीवाल ने कहा कि आरएसएस एक तरह से बीजेपी की मां है, लेकिन आज बीजेपी अपनी मां को आंखें दिखा रही है। केजरीवाल का यह बयान जेपी नड्डा की उस टिप्पणी को लेकर आया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि बीजेपी को आरएसएस की जरूरत नहीं है।
इस टिप्पणी ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है, खासकर उन लोगों के बीच जो आरएसएस और बीजेपी के घनिष्ठ संबंधों को अहम मानते हैं। केजरीवाल ने सवाल किया कि क्या आपको जेपी नड्डा की इस टिप्पणी से दुख नहीं हुआ? उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि बीजेपी और आरएसएस के बीच का रिश्ता गहरा है, और इस तरह की टिप्पणियां उस संबंध को ठेस पहुंचाने का काम करती हैं।
केजरीवाल ने जनता की अदालत में आरएसए प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल पूछे जिसमें केजरीवाल ने पूछा कि पीएम मोदी पूरे देश में लालच देकर या ईडी और सीबीआई का डर दिखाकर विपक्षी दलों के नेताओं को तोड़ रहे हैं, सरकारें गिरा रहे हैं. क्या ये देश के लोकतंत्र के लिए सही है? क्या मोहन भागवत यह नहीं मानते कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए हानिकारक है?
केजरीवाल ने सवाल करते हुए आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने देश के सबसे भ्रष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि जिन नेताओं को मोदी और अमित शाह ने पहले भ्रष्ट कहा था बाद में उन्हीं को बीजेपी में शामिल कर लिया गया। क्या आपने ऐसी बीजेपी की कल्पना की थी? क्या इस प्रकार की राजनीति से आरएसएस सहमत है?
केजरीवाल ने तीसरे सवाल में कहा कि बीजेपी आरएसएस की कोख से ही जन्मी है और आरएसएस की जिम्मेदारी है कि वह यह तय करे कि बीजेपी सही मार्ग पर चले। केजरीवाल ने पूछा कि क्या आपने पीएम मोदी से कभी कहा कि वे गलत रास्ते पर न चलें? क्या आप आज की बीजेपी की कार्यशैली से संतुष्ट हैं?
केजरीवाल ने चौथा सवाल बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान को लेकर पूछा जिसमें नड्डा ने कहा था कि अब बीजेपी को आरएसएस यानी संघ की जरूरत नहीं है। केजरीवाल ने पूछा कि आरएसएस तो बीजेपी की मां समान है। क्या आपको दुख नहीं हुआ जब आपके अपने बेटे ने ऐसा कहा? क्या आरएसएस के कार्यकर्ताओं को इससे पीड़ा नहीं हुई?
पांचवा और आखिरी सवाल जिसमें आरएसएस और बीजेपी के बनाए 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट के नियम पर केजरीवाल ने पूछा कि इस नियम के तहत लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को घर बैठा दिया गया, लेकिन अब अमित शाह कह रहे हैं कि यह नियम मोदीजी पर लागू नहीं होता है। क्या यह सही है? क्या मोदीजी पर भी यह नियम लागू नहीं होगा?
केजरीवाल ने इन सवालों के जरिए से बीजेपी और आरएसएस के बीच के संबंधों, पार्टी की वर्तमान नीतियों और नेतृत्व के प्रति आरएसएस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना है कि आरएसएस इन सवालों को केजरीवाल को जवाब किस रुप में देता है।
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