Kanpur। शुक्रवार से भारत और बंगलादेश के बीच टेस्ट मैच संभवत: Green park की काली मिट्टी की पिचों पर आखिरी मैच होगा। इसके बाद यहां नई मिट्टी मंगवाकर सभी पिचों को नए सिरे से तैयार करना होगा। जिसका प्रमुख कारण इस मिट्टी का स्रोत है, वह समाप्त हो चुका है और यह मिट्टी आस-पास के क्षेत्रों में भी कहीं नहीं पायी जाती।
लगभग 40 साल से उन्नाव के सरेनी गांव से आ रही मिट्टी से ही ग्रीनपार्क की पिचों को तैयार किया जाता रहा है। इस मिट्टी के शानदार परिणाम को देखते हुए ही शारजहां में बने स्टेडियम के लिये भी यहीं से मिट्टी गयी थी। जहां अभी भी उसका प्रयोग होता रहा है। हालांकि अब इस मिट्टी का ोत खत्म हो चुका है और भविष्य में यहां नई मिट्टी से पिच बनाने पर भी विचार किया जाने लगा है। बीसीसीआई के पिच क्यूरेटर शिव कुमार ने बताया कि पिछले कई वर्षों से ग्रीनपार्क की पिचें सरेनी गांव से ही आने वाली मिट्टी से ही बनती रहीं है। यह कानपुर के सबसे नजदीक है और नैचुरल क्ले होने के कारण इसकी विशेषता बढ़ जाती है। इसे किसी तालाब से नहीं लाया जाता। हालांकि अब इसका स्रोत समाप्त हो गया है। हमने वहां आस-पास भी जाकर देखा जिससे हमे आगे भी मिट्टी मिलती रहे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब हमे नई मिट्टी की तलाश करना है, जो इससे मिलती-जुलती हो और क्रिकेट के लिहाज से कारगर भी हो। वर्तमान में बनीं काली मिट्टी जैसी मिट्टी की काफी खोजबीन लगाने पर पता चला है कि यह शायद सहारनपुर के आसपास मिल जाये। हालांकि पश्चिम यूपी से यहां मंगवाने में काफी खर्चा आएगा, इसलिये हम किसी नई मिट्टी की तलाश में लगे है जो आसपास ही मिल जाये और यहां की पिचों को नए सिरे से तैयार किया जा सके।
लाल मिट्टी की पिच भी बनने का सपना नहीं हुआ पूरा
यूपीसीए कई वर्षों से ग्रीनपार्क मेंलाल मिट्टी की पिच बनाने को कहता तो रहा है लेकिन यहां अभी तक बनीं नहीं। वहीं लखनऊ के इकाना स्टेडियम में लाल मिट्टी की पिचे हैं। ग्रीनपार्क में सभी 9 पिच काली मिट्टी की बनी हुई है। दक्षिण भारत में सभी पिचें लाल मिट्टी की होती है और वहां जब उत्तर प्रदेश की घरेलू टीमें मैच खेलने जाती हैं तो उन्हें काफी कठनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसी के चलते यूपीसीए ने कई वर्ष पहले यहां लाल मिट्टी की पिच बनाने की घोषणा भी की थी लेकिन बाद में खर्चा अधिक आने पर वह इसे बनाने का फैसला अभी तक पूरा नहीं कर सकी।