Kanpur।आईसीएआर अटारी जोन 3 द्वारा आयोजित Agriculture विज्ञान केंद्रों की 31वीं क्षेत्रीय वार्षिक कार्यशाला का तीन दिवसीय आयोजन ( 24 से 26 सितंबर 2024)सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ में शुभारंभ किया गया। जिसका उद्घाटन प्रदेश सरकार के कृषि,कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा विधिवत दीप प्रज्वलित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुऐ कृषि मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों का आवाहन किया कि वे अपने अनुभव व ज्ञान को निरंतर आगे बढ़ाते रहें। जिससे अनुसंधान कार्यों को और गतिशीलता प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम के हिसाब से ऐसी प्रजातियों का विकास करें जो मौसम अनुकूल हो।उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सरकार द्वारा मक्का की बेबी कॉर्न व स्वीट कॉर्न की खेती करने पर रुपया 25000 प्रति हेक्टेयर कृषकों को मिलेगा। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे प्राकृतिक खेती के ब्रांड प्रोडक्ट बनाएं तथा उसका वैलिडेशन भी करें ।उन्होंने गेहूं की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 50 कुंतल से अधिक करने का भी सुझाव दिया तथा कृषि विज्ञान केंद्रों पर रबी फसल में क्रॉप कैफेटेरिया की मुख्य फसलों की सभी किस्मो को लगाने का आवाहन किया। साथ ही कहा कि प्रदेश में दलहनी एवं तिलहनी फसलों में वर्ष 2017 से 2024 तक 122 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर के के सिंह ने कहा कि कृषि में महिलाओं और युवाओं का योगदान उल्लेखनीय है।उन्होंने कहा कि हमें प्रति इकाई उत्पादन बढ़ाना होगा। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक कृषि प्रसार डॉ पी दास ने कहा कि जल, जमीन, जलवायु एवं जंगल को बचाना है। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को और अधिक मॉडर्न व अपनी कार्य दक्षता को और अधिक गतिशील बनाएं। डॉ दास ने कहा कि आने वाले समय में कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका और भी अधिक प्रभावी होगी। इस अवसर पर पूर्व उप महानिदेशक कृषि प्रसार डॉक्टर के डी कोकाटे ने कहा कि ड्रोन का प्रयोग और अधिक किसानों के खेतों पर कराया जाए जिससे कम समय व कम लागत में अच्छी खेती की जा सके । आईसीएआर अटारी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राघवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों में 17 सेंटर आफ एक्सीलेंस, 7 सीड हब स्थापित किए जा रहे हैं। जबकि 52 कृषि विज्ञान केंद्रों में प्राकृतिक खेती प्रारंभ की जा चुकी है। इस अवसर पर सभी विश्वविद्यालयों के निदेशक प्रसार, कृषि विज्ञान केंद्रों के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक सहित उत्तर प्रदेश के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों ने प्रतिभाग किया।
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