Kanpur।NSI में पहली बार उ.प्र. सरकार के विभिन्न भागों में स्थित आबकारी कार्यालयों में कार्यरत 27 महिला एवं पुरूष आबकारी निरीक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिये 23 से 27 सितंबर तक चलने वाले पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.) शमशेर, कुलपति, हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय ने माँ सरस्वती को माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत माँ सरस्वती की वंदना के साथ हुआ। मुख्य अतिथि का सम्मान शाल एवं पुस्तक से करते हुये प्रो.(डॉ.) सीमा परोहा, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने कार्रवाई का शुभारंभ किया।
आबकारी निरीक्षकों को संबोधित करते हुये निदेशक, प्रो. सीमा परोहा ने कहा कि राजस्व और औद्योगिक दृष्टिकोण से आबकारी विभाग राज्य सरकार का एक महत्वपूर्ण विभाग है और आबकारी निरीक्षक इस विभाग के महत्वपूर्ण आधार स्तंभ हैं।आबकारी विभाग की नीतियों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन की महती जिम्मेदारी आबकारी निरीक्षकों को निभानी पड़ती है। डिस्टिलरी एवं बाटलिंग यूनिट में कच्चे माल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना इनकी प्राथमिकता होती है साथ ही ये लोग यह भी सुनिश्चित करते हैं कि इथेनाल कैसे और किस तरह से प्रयोग किया जा रहा है। आबकारी निरीक्षकों के शर्करा एवं इथेनाल की पृष्ठभूमि से न जुड़े होने के कारण इनके लिये इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं।
मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में आबकारी निरीक्षकों से कहा कि समय बहुत तेजी से बदल रहा है। इसके मद्देनजर उनको कार्यक्षेत्र में दिन-ब-दिन आ रही समस्याओं से निपटने हेतु लगातार अपने ज्ञान को परिष्कृत करना होगा।
प्रशिक्षण हेतु आये महिला एवं पुरूष प्रतिभागियों तथा व्याख्यानदाताओं को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये संस्थान की सहायक आचार्य जैव रसायन एवं कार्यक्रम की सह-संयोजक, डॉ.अनंतलक्ष्मी रंगराजन ने सभी का आभार प्रकट किया।
प्रशिक्षण सत्र का प्रथम व्याख्यान संस्थान की निदेशक, प्रो.सीमा परोहा का शर्करा एवं इथेनाल-अवसर एवं चुनौतियां, दूसरा व्याख्यान डॉ.अनंतलक्ष्मी रंगराजन का विभिन्न रा मैटेरियल्स से इथेनाल का उत्पादन विषय पर रहा। डॉ.अलका गुप्ता ने प्रयोगशाला में बी एवं सी मोलासेस, गन्ने के रस एवं खांडसारी में ब्रिक्स, पोल, प्योरिटी, टी.आर.एस., आर.एस. आदि के विश्लेषण के संबंध में प्रायोगिक जानकारी दी।